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हरिहरपुरी की कुण्डलिया




हरिहरपुरी की कुण्डलिया


माँगो केवल एक फल,यह अति दुर्लभ भाव।


मन को माँगो यदि मिले,यह अत्युत्तम गाँव।।


यह अत्युत्तम गाँव, प्रीति में सना हुआ है।


यह अति मोहन रूप, मधुर सा बना हुआ है।।


कहें मिसिर कविराय, बस स्वेच्छा में जागो।


कोई यदि कुछ देय, प्रेम से मन को माँगो।।


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4 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Jan-2023 08:19 PM

शानदार

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Haaya meer

01-Jan-2023 09:28 PM

👌👌

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